National

फरीदकोट रियासत की 25 हजार करोड़ की संपत्ति के वारिस का मामला उलझा

फरीदकोट। फरीदकोट रियासत के अंतिम शासक रहे महाराजा हरिंदर सिंह बराड़ की बेटी दीपइंदर कौर मेहताब के निधन के बाद शाही परिवार की 25 हजार करोड़ की जायदाद के वारिस का मामला उलझ सकता है। इस वसीयत को महाराजा की सबसे बड़ी बेटी अमृत कौर ने अदालत को चुनौती दी हुई है, जिन्हें महाराजा ने वसीयत में बेदखल कर दिया था।

बताया जाता है कि अक्टूबर 1981 में राजा हरिंदर सिंह ने इकलौते बेटे हरमहिंदर सिंह की मौत के बाद शाही जायदाद के बारे में वसीयत लिखी गई थी। वसीयत में बड़ी बेटी अमृत कौर को बेदखल कर दिया था और पूरी जायदाद की निगरानी के लिए महारावल खेवाजी ट्रस्ट की स्थापना कर दी थी। ट्रस्ट की चेयरपर्सन बेटी दीपइंदर कौर को बनाया और छोटी बेटी महीपइंदर कौर को वाइस चेयरपर्सन बनाया था।  1989 में राजा हरिंदर सिंह बराड़ की मौत हो गई। ट्रस्ट ने शाही परिवार के शीशमहल और राजमहल समेत कुछ इमारतों को स्थायी तौर पर बंद कर दिया। यह राजमहल दुनिया की चुनिंदा इमारतों में से एक है, जिसे फरीदकोट के लोग कभी देख नहीं पाए हैं। उधर, शाही जायदाद से बेदखल अमृत कौर ने पिता की वसीयत को चंडीगढ़ की अदालत में चुनौती दी थी। निचली अदालत ने 25 जुलाई 2013 को फैसला सुनाते हुए शाही जायदाद को दोनों बेटियों (अमृत कौर और दीपइंदर कौर मेहताब) को सौंपने के आदेश दिए थे। इस फैसले के खिलाफ महारावल खेवाजी ट्रस्ट ने चंडीगढ़ के सेशन कोर्ट में अपील की थी। जिला अदालत ने 5 फरवरी 2018 को अपील को खारिज करते हुए निचली अदालत के फैसले पर ही मुहर लगाई थी। अब यह मामला पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में लंबित है।

देश के कई शहरों में शाही परिवार की संपत्ति  फरीदकोट रियासत के अंतिम शासक राजा हरिंदर सिंह के पास करीब 25 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति थी। तीन हजार एकड़ जमीन, एक हवाई अड्डा, तीन विदेशी जहाज, दो किले, राजमहल समेत सोने-चांदी और हीरे जडि़त गहनों सहित देश भर के एक दर्जन शहरों में आलीशान इमारतें शामिल हैं।

1982 में लिखी थी नई वसीयत  1 जून 1982 में महाराजा हरिंदर सिंह ने अपनी पहली वसीयत को रद करते हुए नई वसीयत लिखी थी। उस समय 67 वर्ष के राजा ने उल्लेख किया था कि अगर अब उनके घर लड़का जन्म लेता है तो वह अकेला ही रियासत की तमाम जायदाद का मालिक होगा और अगर ऐसा न हुआ तो यह जायदाद ट्रस्ट के नाम हो जाएगी। ट्रस्ट की जिम्मेदारी उन्होंने छोटी बेटी को सौंपी थी। 16 अक्टूबर 1989 को राजा हरिंदर सिंह की मृत्यु हो गई। 2004 में बड़ी बेटी अमृतपाल कौर ने इस वसीयत को अदालत में चुनौती दी थी। गौरतलब है कि फरीदकोट में मौजूद जमीन में से ट्रस्ट ने 1200 एकड़ जमीन पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी लुधियाना को बीज खोज केंद्र के लिए 30 साल तक लीज पर दी हुई है।

शाही परिवार में बची है सिर्फ बड़ी बेटी  फरीदकोट के अंतिम शासक हरिंदर सिंह के घर एक बेटे और तीन बेटियों ने जन्म लिया था। बेटे हरमहिंदर सिंह की 13 अक्टूबर 1981 को मृत्यु हो गई थी। उनकी पत्नी नरिंदर कौर का 1986 में निधन हो गया था। परिवार की छोटी बेटी महीपइंदर कौर की वर्ष 2003 में मृत्यु हो गई थी, जबकि महारावल खेवाजी ट्रस्ट की चेयरपर्सन दीपइंदर कौर मेहताब का 11 नवंबर को निधन हो गया। हालांकि दीपइंदर ने छोटी बहन महीपइंदर कौर की मौत के बाद बेटे जयचंद मेहताब को ट्रस्ट का वाइस चेयरमैन बना दिया था। फिलहाल मां की मौत के बाद कानूनी तौर पर वही ट्रस्ट के चेयरमैन होंगे। ऐसे हालात में फरीदकोट के शाही परिवार में सिर्फ महाराजा की बड़ी बेटी अमृत कौर बची हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button