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सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को किया खत्म

तिरुअनंतपुरम । केरल सरकार ने सबरीमाला मंदिर का दरवाजा सभी उम्र की महिलाओं के लिए खोलने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक करार दिया है, लेकिन मंदिर के मुख्य पुजारी को यह रास नहीं आया। उन्होंने शीर्ष कोर्ट के इस फैसले को निराशाजनक बताया है।  भगवान अयप्पा को समर्पित सबरीमाला मंदिर का संचालन करने वाले त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड (टीडीबी) के अध्यक्ष ए पद्मकुमार का कहना है कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करने के लिए बाध्य हैं। फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए अयप्पा धर्म सेना के अध्यक्ष राहुल ईश्वर ने कहा कि वह पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे। शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए केरल के पर्यटन एवं धार्मिक मामलों के मंत्री कडकमपल्ली सुरेंद्रन ने कहा कि अब इसे लागू करना और महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना टीडीबी का काम है। एक अन्य मंत्री जी सुधाकरन ने कहा कि अदालत के इस फैसले से महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा हुई। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से नाराज मंदिर के प्रमुख पुजारी कंडारारू राजीवारू का कहना है कि सभी आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने वाला सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय निराशाजनक है, लेकिन मंदिर बोर्ड इसे स्वीकार करेगा। वह आगे बोले, ‘मैं कोर्ट के निर्णय का स्वागत करता हूं, लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में महिलाओं के लिए विशेष सुविधाओं की व्यवस्था करना कठिन है। बोर्ड को इंतजाम करना होगा।’  अयप्पा धर्म सेना के प्रमुख राहुल ईश्वर के अनुसार, ‘हम इस लड़ाई को आगे ले जाएंगे। सबरीमाला मंदिर 16 अक्टूबर तक बंद है। हमारे पास कोर्ट के आदेश को चुनौती देने के लिए पर्याप्त समय है।’ मंदिर से जुड़े पंडालम राज परिवार के सदस्य शशि कुमार वर्मा ने इस फैसले को दुखद करार दिया है।

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