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पश्चिम बंगाल के कोलकाता के माजेरहाट फ्लाईओवर का एक हिस्सा गिरने से पांच लोगों के मरने की आशंका

कोलकाता। पश्चिम बंगाल के कोलकाता के माजेरहाट फ्लाईओवर का एक हिस्सा गिरने से पांच लोगों के मरने की आशंका है, जबकि दर्जनों अन्य घायल हो गए। मलबे में कई लोगों के दबे होने की आशंका है। मलबे में दबे हुए लोगों को निकालने की कोशिश की जा रही है। रेस्क्यू टीम और एंबुलेंस मौके पर पहुंच गई हैं। सेना की एक टुकड़ी घटनास्थल पर भेजी गई है। जानकारी के मुताबिक, घंटेभर की मूसलाधार बारिश के बाद दक्षिण कोलकाता के माजेरहाट में रेल लाइन के ऊपर बने फ्लाईओवर का हिस्सा व्यस्त समय पर भरभराकर गिर पड़ा। एकाएक हुए हादसे में पुल से गुजर रहे यात्री बस और कई छोटे वाहन क्षतिग्रस्त हो गए। हादसे में 20 से अधिक लोग जख्मी हो गए। जबकि 5 लोगों के मरने की आशंका जताई गई है। घटना से लोगों में चीख पुकार मच गई। आपदा प्रबंधन टीम और दमकल विभाग को राहत व बचाव कार्य में लगा दिया गया। हादसे की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने सेना की भी मदद ली। उच्च क्षमता वाले क्रेनों की मदद से मलबा को हटाया जाने लगा। हालांकि अंधेरा हो जाने की वजह से बचाव कार्य में समस्या उत्पन्न होने लगी। मलबे में पुल के नीचे भी कई लोगों के दबे होने की आशंका है। गनीमत रही की पुल का हिस्सा रेलवे लाइन पर नहीं गिरा वरना बड़ा हादसा हो सकता था। दमकल मंत्री शोभन चटर्जी, शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम, कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार, संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) प्रवीण त्रिपाठी के साथ आला अधिकारी मौके पर पहुंच गए। राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने भी घटनास्थल का मुआयना किया। सूत्रों के अनुसार, मंगलवार शाम करीब साढ़े चार बजे माजेरहाट में रेल लाइन के ऊपर बने खिदिरपुर और बेहला को जोड़ने वाले रोड ओवर ब्रिज का एक हिस्सा अचानक भराभराकर गिर पड़ा। व्यस्त समय होने की वजह से उस वक्त पुल से काफी संख्या में वाहन गुजर रहे थे। घटना से लोगों में चीख पुकार मच गई। हादसे में हाईकोर्ट के न्यायाधीश की प्लेट लगी कार समेत मिनी बस, कई छोटे वाहन तथा बाइकें क्षतिग्रस्त हो गई। सूचना पर पहुंचे मेयर एवं दमकल मंत्री शोभन चटर्जी, शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम, कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार की देखरेख में एनडीआरएफ, कोलकाता पुलिस की आपदा प्रबंधन टीम, दमकल विभाग ने राहत बचाव कार्य शुरू कर दिया। हादसे की गंभीरता को देखते हुए बचाव कार्य में सेना को भी लगा दिया गया। गंभीर रूप से घायल 20 से अधिक लोगों को सीएमआरआइ और एसएसकेएम अस्पताल में पहुंचाया गया। जबकि पांच लोगों के मरने की आशंका जताई गई है। अंधेरा और बारिश शुरू हो जाने से बचाव कार्य में बाधा उत्पन्न होने लगी। सेना ने हाई मास्ट लाइटों से मलबे को हटाने का काम युद्धस्तर पर शुरू रखा। हालांकि पुल का अधिकतर मलबा रेल लाइन किनारे बने नाले में गिरने से बड़ा हादसा टल गया। हादसे के वक्त लोक निर्माण विभाग की ओर से ठेकेदार संस्था के श्रमिक मरम्मत कार्य कर रहे थे। पुल के नीचे उक्त श्रमिकों के रहने के लिए अस्थाई आवास बने हुए थे। मलबे में कई श्रमिकों के दबे होने की आशंका जताई गई है। उधर, माजेरहाट में सर्कुलर रेलवे क्षेत्र में पुल का मलबा गिरने से लाइन किनारे लगा सिग्नल पोस्ट क्षतिग्रस्त हो गया। रेल प्रशासन ने एहतियातन सियालदह डिवीजन के बालीगंज-बजबज सेक्शन में अस्थाई रूप से ट्रेनों का संचालन बंद कर दिया। इसके अलावा 30317 बालीगंज-दत्तपुकुर (सर्कुलर रेलवे) लोकल को न्यू अलीपुर और माजेरहाट में रोक दिया गया। उधर, देर शाम बचाव टीम ने क्षतिग्रस्त पुल के हिस्से में होल बनाकर नीचे फंसे लोगों की ठोह लेना शुरू कर दिया है।

जानें, किसने क्या कहा इस बीच, दार्जिलिंग में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि हादसे को लेकर हम बहुत चिंतित हैं। जितनी जल्दी हो सके हम वहां वापस जाना चाहते हैं। लेकिन यहां शाम में कोई फ्लाइट नहीं है, इसलिए हम ऐसा करने में असमर्थ हैं। हमारी टीम का सारा ध्यान राहत और बचाव कार्यों पर है। हमारी प्राथमिकता भी बचाव और राहत ही है। माजेरहाट हादसे में बाकी की जांच हम बाद में करेंगे।

पश्चिम बंगाल के मंत्री फिरहद हाकिम ने कहा है कि मलबे में फंसे सारे लोगों को बचा लिया गया है, यह एक 40 साल पुराना पुल था, हालांकि जान-माल का कोई नुकसान नहीं हुआ लेकिन हमारा सर्च ऑपरेशन जारी है।

हादसे पर भाजपा के मुकुल राय ने कहा है कि राज्य सरकार और मुख्यमंत्री इस हादसे के लिए जिम्मेदार हैं। राज्य सरकार को इस हादसे की पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

कोलकाता में मंगल को हुआ अमंगल
मंगलवार का दिन महानगर में कई लोगों के लिए अमंगल साबित हुआ। इस दिन जब लोग शाम के समय काम खत्म करके अपने घर लौट रहे थे उसी वक्त अचानक दक्षिण कोलकाता में स्थित अति व्यस्त माझेरहाट ब्रिज का एक हिस्सा गिरकर टूट जाने से कई हंसती-खेलती जिंदगी मलबे के अंदर चीख-पुकार के साथ सदा के लिए खत्म हो गई। इसके साथ इस हादसे ने कईयों को ऐसा जख्म देकर गया कि इससे उबरना बेहद मुश्किल होगा। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हादसा इतना खौफनाक था कि इसे बयां करना मुश्किल है। लोग कुछ समझ पाते कि अचानक ब्रिज का एक हिस्सा भरभराकर गिर पड़ा। उस दौरान ब्रिज से बड़ी संख्या में वाहन व आम यात्री गुजर रहे थे जो मलबे के अंदर दब गए। खास बात यह कि इस ब्रिज के नीचे रेलवे ट्रैक है और मलबा उसी पर जाकर गिरा। गनीमत यह रही कि उस दौरान नीचे से कोई ट्रेन नहीं गुजर रही थी नहीं तो और बड़ा हादसा हो सकता था। ब्रिज के गिरते ही चारों तरफ अफरातफरी की स्थिति मच गई और लोग इधर-उधर भागने लगे। कुछ देर तक तो लोगों को समझ में ही नहीं आया कि यह क्या हुआ। चीख-पुकार के बीच फिर बड़ी संख्या में लोग वहां जुटे और मलबे के अंदर मौत से जंग लड़ रहे लोगों को बचाने की भरसक कोशिश की। इसके बाद सूचना पाकर पुलिस व आपदा प्रबंधन की टीम भी मौके पर पहुंचकर राहत कार्य शुरू किया। लेकिन, इससे पहले हादसे में करीब आधा दर्जन लोग दम तोड़ चुके थे। बड़ी संख्या में घायल लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

पोस्ता हादसे में गई थी 27 लोगों की जानें, फिर भी नहीं चेती सरकार  कोलकाता में मंगलवार को माजेरहाट ब्रिज का हिस्सा टूटकर गिरने की घटना ने एक बार फिर कईयों की जिंदगियां लील ली और कईयों को हमेशा के लिए जख्म देकर चला गया। इस हादसे ने करीब ढ़ाई साल पहले बड़ाबाजार के पोस्ता में फ्लाईओवर गिरने की घटना की यादें भी ताजा कर दी।

31 मार्च 2016 को पोस्ता में निर्माणाधीन फ्लाईओवर गिरने की उस घटना को कौन भूल सकता है जिसने महज कुछ सेकेंड के अंदर 27 लोगों की जिंदगियां लील ली और 80 से अधिक लोग इसमें घायल हो गए थे। पोस्ता की घटना दिन में करीब 11 बजे के आसपास अति व्यस्त समय में हुई थी और उस दौरान सैकड़ों लोग उस रास्ते से गुजर रहे थे। इसी दौरान अचानक फ्लाईओवर का हिस्सा गिरने के बाद मलबे के अंदर लोग जमींदोज हो गए थे। वहीं, माझेरहाट की घटना भी कुछ इसी तरह हुआ है। मंगलवार को शाम करीब 5 बजे अति व्यस्त समय में जब लोग ऑफिस या अपने काम से घर लौटते हैं उसी वक्त अचानक ब्रिज का हिस्सा गिर गया। उस दौरान ब्रिज से कई बसें, टैक्सियां, बाइक और पैदल यात्री गुजर रहे थे। तभी अचानक ब्रिज का एक हिस्सा टूटकर नीचे रेलवे ट्रैक पर गिर गया। इसके बाद चारों तरफ अफरातफरी मच गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हादसे में मलबे के अंदर कई लोग और दर्जनों वाहन दब गए। आप समझ सकते हैं कि घटना के वक्त कितना खौफनाक मंजर था। इधर, हर घटना की तरह सरकार ने इस हादसे के भी जांच के आदेश दे दिए हैं। लेकिन, इस बात का जवाब किसके पास है जो लोग इस ब्रिज हादसे में जान गंवाए हैं उनका क्या दोष था। आंकड़ों की बात करें तो कोलकाता में हाल के दिनों में पुल टूटने की यह तीसरी बड़ी घटना है। इससे पहले पोस्ता फ्लाईओवर हादसे की जांच में पता चला कि दोषपूर्ण डिजाइन व माल की खराब गुणवत्ता के कारण यह हादसा हुआ था। बाद में आइआइटी के विशेषज्ञों की टीम ने 2.3 किलोमीटर लंबे बड़ाबाजार विवेकानंद फ्लाईओवर पूरे हिस्से को तोड़कर हटाने की सिफारिश की थी। हालांकि यह मामला अभी अटका हुआ है। हादसे के बाद से फ्लाईओवर का निर्माण कार्य बंद है। हादसे में कई वाहन चकनाचूर हो गए। सड़क पर भी गहरे गड्ढ़े बन गए हैं। मलबे में कई वाहन दब गए। गौरतलब है कि इससे पहले 31 मार्च, 2016 में पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में एक निर्माणाधीन फ्लाईओवर ढहने से करीब 21 लोगों की मौत हो गई थी और 80 से ज्यादा घायल हो गए थे।

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