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स्वामी बागेश्वरानन्द जी महाराज को अर्पित की श्रद्धांजलि

देहरादून। जनपद हरिद्वार चेतन ज्योति आश्रम में ब्रह्मलीन स्वर्गीय स्वामी बागेश्वरानन्द जी महाराज का वृहद श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया गया। जिसमें प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा ने उनकों स्मरण करने और उनके चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करने हेतु उपस्थित हुए। माहरा ने सभी उपस्थित संतों को सादर वंदन अर्पित करते हुए कहा कि अध्यात्म का मार्ग ही सत्य का मार्ग है। जिस प्रकार आज संस्कार और संस्कृति समाज और नई पीढ़ी के बीच से विलुप्त हो रहे हैं। भोगवादी संस्कृति आज हावी हो रही है और नई पीढ़ी पश्चिम की चकाचैंध से प्रभावित हैं बच्चे आज माता पिता की बात को भी नही सुन रहे हैं, कॉन्वेंट शिक्षा के दौर में गुरू और शिष्य के बीच जो प्रेम अपनत्व और आदर का अनुठा रिश्ता होता था वो आज कहीं दिखा नही देता हैं।
माहरा ने कहा कि ऐसे निराशाजनक दौर में भी संतगणों का त्याग व मार्गदर्शन ही निराशा में एक आशा का मार्ग दिखाता है। सुक्षमता को ग्रहण करना और स्थूलता को छोडना जैसी उच्च आध्यात्मिक ऊंचाई केवल गुरु के स्नेह और कृपा से ही प्राप्त की जा सकती है। माहरा ने इस अवसर पर कहा कि गुरू के चरणों में क्या अर्पण किया जाए और क्या न किया जाए यह एक बडा विषय है लेकिन गुरु के मार्ग के अनुसार संसार की सारी मूल्यवान वस्तुएं गुरु के लिए निष्प्रयोज्य हैं, गुरु के चरणों में तो केवल भाव ही समर्पित किया जा सकता है, और हम भाव से ज्यादा गुरु को कुछ दे भी नही सकते, और भाव के अलावा भक्त के पास कोई अन्य साधन भी नहीं हैं जो गुरु को अर्पित कर सके। माहरा ने कहा कि आज की युवा पीढी को सतांे के जीवन चरित्र को पढ़ना चाहिए एवं उससे प्रेरणा लेनी चाहिए जिससे युवा पीढ़ी को देश की महान संत परम्परा का ज्ञान हो सके तभी यह पीढ़ी संस्कृति और संस्कार से जुड पायेगी, और तभी उन्नत और श्रेष्ठ भारत की कल्पना साकार हो सकेगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता महामंडलेश्वर स्वामी परमात्मा देव जी महराज ने की। श्रद्धांजलि समारोह में मुख्य रूप से आर्चाय प्रमोद कृष्णम, ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी, स्वामी हरिचेतन्य महाराज, डाॅ0 हरक सिंह रावत, सतपाल ब्रह्मचारी, विजय सारस्वत, अमन गर्ग, राजीव चैधरी, राजेश रस्तोगी, मुरली मनोहर, हरिराज त्यागी, स्वामी हरिचेतनानंद पुरी, ऋषि स्वरानंद जी, संजय महंत, उमाकांत, स्वामी हरि बल्लभ, हरिहरानंद जी, शिवजी बापू, ज्ञानानन्द जी, आशुतोष जी महाराज, स्वामी शंकर तिलक जी, मनोज महन्त, महंत शिवानंद, दुर्गादास जी महाराज, हंस योगी जी महाराज, चैधरी करतार, जी आदि उपस्थित रहे।

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