News UpdateUttarakhand

रामपुर मंडी क्षेत्र में उत्तराखंड की सीमा में यमुना में खनन पर प्रतिबंध तो फिर हिमाचल की सीमा में क्यों नहींः ऐसोसिएशन

विकासनरगर। ह्यूमन राइट्स एंड आरटीआई एसोसिएशन के अध्यक्ष अरविंद शर्मा एवं महासचिव भास्कर चुग ने कहा कि आसन वेटलैंड संरक्षण आरक्ष के 10 किलोमीटर क्षेत्र की परिधि के दायरे में वाइल्डलाइफ एवं पर्यावरण संरक्षण के कारणों से प्रतिबंधित की गई माइनिंग गतिविधियों का असर मात्र उत्तराखंड के क्षेत्र में स्थित किनारों पर ही क्यों होता है और आखिर क्यों यमुना के दूसरे किनारे जो हिमाचल प्रदेश में है और उसी 10 किलोमीटर की परिधि में है पर यह सारे प्रतिबंध आखिर बेअसर क्यों हैं। पत्रकारों से वार्ता करते हुए उन्होंने कहा कि रामपुर मंडी क्षेत्र वाले यमुना के किनारे पर खनन गतिविधियां प्रतिबंधित हैं परंतु उसी के ठीक सामने मात्र 500 मीटर की दूरी पर स्थित मानपुर देवड़ा जो हिमाचल में यमुना के दूसरे किनारे पर है में खुलेआम स्टोन क्रेशर और स्क्रीनिंग प्लांट चल रहे हैं। प्रश्न यह उठता है कि जब 10 किलोमीटर के दायरे में खनन होने से पर्यावरण वाइल्डलाइफ प्रभावित होते हैं तो क्या मात्र उत्तराखंड वाले किनारे पर ही प्रभावित होते हैं हिमाचल वाले किनारे पर नहीं?
बहुत से लोग उत्तराखंड में उच्च न्यायालय की शरण तक में खनन प्रतिबंधित कराने को चले जाते हैं उन्हें हिमाचल में उसी नदी पर हो रहा था खनन आखिर दिखाई क्यों नहीं देता है? एसोसिएशन के अध्यक्ष अरविंद शर्मा व महासचिव भास्कर चुग ने कहा कि उत्तराखंड में उक्त प्रतिबंधों के कारण जनता को खनन सामग्री महंगे दाम पर मिल रही है वहीं उत्तराखंड सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान प्रतिदिन हो रहा है साथ ही उत्तराखंड के श्रमिकों को रोजगार के लाले पड़े हुए हैं। हिमाचल से जिन डंपरो में खनन सामग्री आती है वह पूरी तरह से ओवरलोड होते हैं और परिवहन विभाग का उप संभागीय परिवहन अधिकारी उन पर कोई कार्यवाही नहीं करता है। एसोसिएशन ने कहा कि उक्त प्रकरण में एक बहुत बड़ा खेल चल रहा है जिसका नुकसान उत्तराखंड के राजस्व उत्तराखंड के श्रमिकों उत्तराखंड की आम जनता को हो रहा है। एसोसिएशन शीघ्र ही उक्त प्रकरण में राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से मुलाकात करके आवश्यक कार्यवाही की मांग करेगी। और साथ ही यह मांग भी करेगी कि यदि वास्तव में 10 किलोमीटर के दायरे में खनन होने से प्रतिबंध नहीं होने से पर्यावरण प्रभावित होता है तो इसे दोनों राज्यों में शक्ति के प्रतिबंधित किया जाए अन्यथा उत्तराखंड में भी प्रतिबंध निरस्त कराया जाए।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button