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आंदोलन के दौरान हुई हिंसा को लेकर हार्दिक पटेल पर राजद्रोह मामले में आरोप पत्र तय

अहमदाबाद। पाटीदार आंदोलन के दौरान हुई हिंसा को लेकर दर्ज राजद्रोह के मामले में अपराध शाखा ने मंगलवार को सैशंस कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल कर हार्दिक पटेल व उनके दो साथियों पर भड़काऊ भाषण देने व लोगों को हिंसा के लिए उकसाने का आरोप तय किया गया। आरोपितों ने चार्जशीट पर हस्ताक्षर करने से मना किया तो न्यायाधीश ने सख्ती दिखाई। इस मामले में अगली सुनवाई 29 जनवरी को होगी। सेशन जज दिलीप महिडा की अदालत ने अपराध शाखा ने पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति के संयोजक हार्दिक पटेल व उसके पूर्व साथी दिनेश बामणिया, चिराग पटेल के खिलाफ 18 पेज का आरोप पत्र दाखिल किया। जज ने तीनों आरोपितों को कठघरे के सामने कतार में खड़ा कर उनके खिलाफ लगे आरोप सुनाए, फिर उनसे चार्जशीट पर दस्तखत करने को कहा। आरोपितों ने कहा कि उनके वकील के आने के बाद ही वे हस्ताक्षर करेंगे। इस पर जज महिडा ने सख्ती दिखाते हुए कहा कि हस्ताक्षर कर दीजिए बाद में आपको इसकी कॉपी दे दी जाएगी। बार-बार बुलावे के बाद भी कोर्ट में हाजिर नहीं होने पर हार्दिक ने सामाजिक कार्य में व्यस्त होने की बात कही। अदालत की ओर से जारी वारंट के चलते दिनेश बामणिया की क्राइम ब्रांच ने धरपकड की तथा बाद में कोर्ट के समक्ष पेश किया। बामणिया पर अदालत ने तीन हजार रुपये का जुर्माना किया है। सरकारी वकील सुधीर ब्रम्हभट्ट ने कहा कि आरोपित बार-बार अदालत में उपस्थित नहीं हो रहे थे, इसलिए कोर्ट ने बामणिया के खिलाफ वारंट जारी किया था। अपराध शाखा ने अदालत को बताया कि 25 अगस्त, 2017 को जीएमडीसी मैदान अहमदाबाद की महारैली व उसके बाद हुई हिंसात्मक घटनाओं के बाद से ही हार्दिक पटेल व उनके साथियों की गतिविधियों पर पुलिस नजर रख रही थी। आरोपित राज्य सरकार को उखाड फेंकने के लिए लोगों को भड़काते और सरकारी बस व संपत्ति को नुकसान करने को उकसाते थे। हार्दिक् व उसके साथियों पर सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की भारतीय दंड संहिता की धारा 121, साजिश रचने के लिए 120बी तथा राजद्रोह के लिए 124 ए के तहत आरोप तय किए हैं। अप्रैल 2015 में हार्दिक पटेल व उसके साथियों ने उत्तर गुजरात के विसनगर में भाजपा विधायक रिशीकेश पटेल के कार्यालय में तोड़फोड़ कर आग लगा दी थी। इसके बाद आरक्षण आंदोलन गुजरात में आग की तरह फैल गया था। 25 अगस्त, 2015 को अहमदाबाद के जीएमडीसी मैदान में महारैली का आयोजन किया गया था, जिसमें लाखों पाटीदार उमड़े थे। देर रात पुलिस ने मैदान पर ही उपवास पर बैठे हजारों पाटीदारों पर लाठीचार्ज कर दिया, जिसके बाद राज्यभर में हिंसा की घटनाएं हुईं तथा सरकार संपत्ति, बसें व अन्य को नुकसान पहुंचाया गया। इस दौरान पुलिस कार्यवाही में 14 पाटीदार युवकों की जान चली गई थी। इसके बाद राज्य सरकार ने आरक्षण से वंचित वर्गों के लोगों की मदद के लिए आर्थिक निगम बनाने के साथ कई पाटीदार युवकों के खिलाफ आपराधिक मुकदमें वापस ले लिए थे।

जानिए, किसने क्या कहा  न्यायपालिका का सम्मान करते हैं, कोर्ट फांसी भी दे तो स्वीकार करेंगे। भाजपा सरकार मेरे खिलाफ साजिश कर रही है, मेरे खिलाफ झूठे आरोप लगाकर पाटीदार आंदोलन को तोड़ना चाहती है। हाईकोर्ट में न्याय के लिए कानूनी तरीके से लड़ेंगे।

-हार्दिक पटेल, संयोजक पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति।

पाटीदार आरक्षण आंदोलन चरित्रहीन व्यक्ति के हाथ में है, कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मिलने व पैसों के लिए आंदोलन करने से समाज को लाभ नहीं होगा। भाजपा में शामिल होने के बावजूद पाटीदार समाज के हितों के लिए लड़ता रहूंगा।

-चिराग पटेल, पाटीदार नेता व राजद्रोह के आरोपित।

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