News UpdateUttarakhand

आत्मनिर्भर और सशक्त भारत के निर्माण में सकारात्मक भूमिका निभाने की अपील की

देहरादून। देवभूमि विचार मंच तथा स्वदेशी जागरण मंच के संयुक्त तत्वावधान में आत्मनिर्भर भारत सशक्त भारत विषय के साथ एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ. धन सिंह रावत, मुख्य वक्ता के रूप में प्रोफेसर श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी कुलपति, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय तथा विशिष्ट वक्ता के रूप में कश्मीरी लाल जी राष्ट्रीय संगठन मंत्री स्वदेशी जागरण मंच उपस्थित रहे। कार्यक्रम को संयोजक ,डॉ दीपक कुमार पाण्डेय ने स्वागत एवं विषय परिचय के साथ प्रारंभ किया तथा भारतीय सामान हमारा अभिमान के डिजिटल सिग्नेचर अभियान में जुड़ने का आह्वान करते हुए स्वदेशी की धारा को मजबूत करते हुए आत्मनिर्भर और सशक्त भारत के निर्माण में सकारात्मक भूमिका निभाने हेतु अपील की।
धन सिंह ने विषय की सारगर्भित तथा आत्मनिर्भर भारत की दिशा में सरकार द्वारा किये जा रहे  विभिन्न प्रयासों के द्वारा आत्मनिर्भर समाज और राष्ट्र बनाने की बात की।  उन्होंने बताया कि, डेयरी के क्षेत्र में स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए सरकार डेयरी के लिए 25 प्रतिशत सब्सिडी के साथ कर्ज एवं राज्य सरकार द्वारा उन्नत किस्म के गाय भी देने की बात कही, जिसमें 4000 से ज्यादा लोगों ने आवेदन किया है। मिल्क बूथ के लिए सरकार 2 लाख का ऋण 25 प्रतिशत सब्सिडी के साथ, डेयरी के लिए  4 रुपया प्रति ली प्रोत्साहन भी सरकार दे रही है। उन्होंने राज्य के बीस हजार युवाओं को राज्य सरकार द्वारा स्वरोजगार योजना के तहत मोटरसायकिल उपलब्ध करा कर पर्यटन क्षेत्र से जोड़ने की बात कही। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत 05 से 25 लाख तक ऋण, स्वयं सहायता समूह के माध्यम  से महिलाओं के विकास हेतु आर्थिक सहायता भी प्रदान किया जा रहा है। डॉ. रावत ने उत्तराखण्ड के जनजातीय क्षेत्रों के लिए जनजातीय विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय केंद्र खोलने हेतु भी माननीय कुलपति जनजातीय विश्वविद्यालय से आग्रह किया।  के  युवाओं कारपोरेट क्षेत्र में  किसानों की आय दोगुनी करने के संदर्भ में भी सरकार के प्रयासों को भी बताया। मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. श्री प्रकाश मणि त्रिपाठी, कुलपति, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक, म. प्र. ने अपने उद्बोधन में कहा कि, आत्म निर्भर और सशक्त भारत की संकल्पना हमारे  सांस्कृतिक और आर्थिक पक्ष  से जुड़ी हुई है , जिसमें हमारी परंपरागत संस्थाएं और संरचनायें   महत्वपूर्ण हैं। हमारे गांव, देवालय, शिक्षालय और चिकित्सालय इसके महत्वपूर्ण आयाम हैं। उन्होंने कहा कि, जैसे परंपरागत रूप में हमारे गांव में स्थानीय विशिष्टताओं के आधार पर योग्यता और हुनर का सम्मान था, वैसे ही उस योग्यता और हुनर के आधार पर उद्योगों को विकसित करने की आवश्यकता है। उन्होंने आत्मनिर्भर और सशक्त भारत के लिए सम्यक सुरक्षा जिसमें आंतरिक और बाह्य सुरक्षा सम्मिलित हैं  को सुदृढ करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना के लिए हमें आयतोन्मुखी अर्थव्यवस्था से निर्यातोन्मुखी व्यवस्था की तरफ जाना होगा। उन्होंने इसके लिए माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा बताए गए 9 सीढ़ी और 5 आई  की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत कृषि और ऋषि परंपरा का देश है, इसलिए नवोन्मेष और आर्थिक विकास का मार्ग भी यहां के शिक्षालयों से होकर निकलेगा। उन्होंने ऐसे पूंजी प्रवाह की बात की जो वसुधैव कुटुम्बकम की भावना से लोक कल्याण को बढ़ावा देती हो। इसके साथ ही इसे अवसर के रूप में लेने की बात कही जिसमें बेटियों(महिलाओं की ) की भूमिका महत्वपूर्ण होगी क्योंकि ये केवल दो पीढ़ियों को ही नहीं जोड़ती हैं, बल्कि दो सभ्यताओं को जोड़ती हुई पुरातन और आधुनिकता को भी एक सूत्र में जोड़ती हैं। इस अवसर पर देश के विभिन्न प्रान्तों से बुद्धिजीवी- प्रो. डी. पी. सकलानी, प्रो.  एच. सी. पुरोहित, डॉ ऋचा कंबोज , डॉ. जानकी पंवार, डॉ. कमला चन्याल, डॉ. प्रीतपाल सिंह, डॉ शशि प्रभा, डॉ अनिता चैहान, डॉ अंजलि वर्मा डॉ  देवेश मिश्रा,डॉ. ललित मिश्र, डॉ. भावना सिन्हा, डॉ. आनन्द सिंह, अमिताभ मिश्र, डॉ. आशुतोष, डॉ. हरनाम सिंह आदि उपस्थित रहे ।कार्यक्रम का संचालन आयोजन सचिव डॉ रवि शरण दीक्षित,  तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ चैतन्य भंडारी द्वारा द्वारा किया गया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button