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खेतों में मजदूरी कर बेटे को पढ़ाया, भूखे रहकर बेटे ने मेहनत कर की पढ़ाई और बना डिप्टी कलेक्टर

खरसौद खुर्द । गांव में किसानों के यहां मजदूरी करने वाले यहां के एक आदिवासी दंपति ने अपने बच्चों को गरीबी से उबारने की ठानी और मेहनत मजदूरी के दम पर ऐसा कर दिखाया। अनपढ़ होने के बाद भी उन्होंने बेटे को खूब पढ़ाया और आज वह डिप्टी कलेक्टर के रूप में सरकार का हिस्सा बन गया है। हम बात कर रहे है स्थानीय निवासी खेतिहर मजदूर दंपति शंकरलाल चौहान और लीलाबाई की। दोनों किसानों के खेतों में मजदूरी करते हैं। इसी साल उनका बेटा राहुल ने मप्र लोक सेवा आयोग की परीक्षा में सफलता पाते हुए बतौर डिप्टी कलेक्टर बने हैं। कलेक्टर कार्यालय खरगोन में बतौर प्रशिक्षु डिप्टी कलेक्टर पहली पदस्थी पाकर वह फिलहाल वह भोपाल की नरोन्हा प्रशासन व प्रबंधकीय अकादमी में प्रशिक्षण ले रहे हैं।तंगहाली में जीवन बीता रहे चौहान दंपति ने जिंदगी के हालात देखकर मन में ठान लिया था कि बेटे को पढ़ा-लिखाकर बड़ा आदमी बनाएंगे। दिनभर की मेहनत के बाद बमुश्किल परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुटा पाने वाले शंकरलाल और लीलाबाई ने मुसीबत झेलकर भी बेटे राहुल को गांव के निजी स्कूल में पांचवी तक पढ़ाई करवाई।

बाद में जवाहर नवोदय विद्यालय में चयन होने पर 12वीं तक वहां से शिक्षा पाई। बेटे ने भी मेहनत से किया मां-बाप का सपना पूरा राहुल ने इंदौर के अटल बिहारी वाजपेयी आर्ट व कॉमर्स कालेज से बीए करने के बाद मप्र लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा पास की। इससे उसे राज्य शासन से प्रोत्साहन राशि मिली और राहुल दिल्ली कोचिंग के लिए चला गया।

पीएससी की परीक्षा के पहले प्रयास में 15 अंकों से पिछड़ने के बाद मजदूर दंपति के बेटे को अपने पिता के अरमान को पूरा करना था। उसने हार नहीं मानी और पैसों की कमी के कारण दिल्ली से लौट इंदौर आकर कोचिंग लेने लगा। राहुल ने भूखे रहकर भी पढ़ाई जारी रखी। आखिरकार गरीब मजदूर माता-पिता के अरमान राहुल की दृढ़ इच्छा शक्ति व मेहनत सफल हुई व 2017 की परीक्षा में राहुल का डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयन हुआ।

नवोदय विद्यालय में चयन के बाद दो बहनों के इकलौते भाई राहुल को घर वाले बाहर भेजने को तैयार नहीं थे। गांव वालों की समझाइश पर मां-बाप ने दिल पर पत्थर रखकर उसके भले के लिए अपने दिल के टुकड़े को खुद से अलग कर पहली बार अकेले गांव से बाहर भेजा।

बेटे की तरह बेटी को भी अधिकारी बनाएंगे हमारे तीन बच्चे हैं। बड़ी बेटी रीना की शादी हो गई है और छोटी बेटी सुनीता भाई राहुल को देखकर पढ़ने लगी। वह जवाहर नवोदय विद्यालय मुलथान (तहसील बदनावर) में 12वीं में पढ़ रही है। बेटे की तरह हम बेटी को भी अधिकारी बनाएंगे।

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