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चीनी सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास भारी संख्‍या में तोपों और पैदल सेना को तैनात कर रही

नई दिल्‍ली। लद्दाख में भारत-चीन विवाद को हल करने के लिए बातचीत के माध्‍यम से प्रयास चल रहे हैं। इस बीच चीनी सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास सैन्य शक्ति के निर्माण में जुटी हुई है। वे नियंत्रण रेखा के पास भारी संख्‍या में तोपों और पैदल सेना को तैनात कर रहे है, जिसे कुछ ही घंटों में भारतीय क्षेत्र के पास तैनात किए जा सकता है।

दोनों पक्षों की कई दौर में बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला  भारतीय और चीनी पक्ष पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में सभी स्थानों पर बटालियन और ब्रिगेड स्तर पर एक-दूसरे से बात कर रहे हैं, जिसका अभी तक कोई परिणाम नहीं निकाला है। उसका भी नतीजा हो सकता है। सूत्रों का कहना है कि चीनी जिन स्‍थानों पर थे, किसी भी पोजिशन से पीछे नहीं हटे हैं। विभिन्न स्थानों पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच लगातार आमना- सामना हो रहा है। वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में बड़ी संख्या में क्लास ए वाहनों को चीनी सेना के पीछे की पोजिशन पर देखा जा सकता है। इन वाहनों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के भारतीय तरफ से 25-30 किलोमीटर की दूरी पर तैनात किया गया है और कुछ ही घंटों में इसे बॉर्डर पर आगे लाया जा सकता है।

भारत को बातचीत में उलझाना चाहता है चीन  ऐसा लगता है कि चीनी पक्ष बातचीत के माध्यम से भारत को उलझाना चाहता है और इसका उपयोग वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपने पक्ष को मजबूत में करने के लिए कर रहा है। दूसरी ओर कमांडिंग ऑफिसर और ब्रिगेड कमांडर के स्तर पर बातचीत लगभग दैनिक आधार पर हो रही है, लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं दिख रहा है। अब दोनों पक्षों के प्रमुख जनरल रैंक के अधिकारी जल्द ही बैठक करेंगे, ताकि क्षेत्र में तनाव को खत्म करने के तरीकों पर चर्चा की जा सके। चीनी पक्ष नियंत्रण रेखा में भारत द्वारा बुनियादी ढांचे के विकास पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। दोनों पक्षों की सेनाओं के बीच कई बार झड़प हुई है, क्योंकि चीनी सेना घुसपैठ करने की गहरे स्‍तर पर कोशिश कर रही है। सूत्रों का कहना है कि ये शुरुआती दौर के दौरान हुए आमने-सामने लड़ाई के अलावा हैं क्योंकि मई के तीसरे हफ्ते में फिंगर एरिया में एक बड़ा आमने-सामने झड़प हुई थी। लद्दाख में क्षेत्र की विवादित साइटों पर इस तरह की कई घटनाएं हुई हैं।

      सूत्रों का कहना है कि नियंत्रण रेखा के पास चीनी सैन्‍य निर्माण के जवाब में भारत के पास अनुकूल माहौल होगा। विवाद के शुरुआती चरण में एलएसी के साथ भारतीय क्षेत्र में कुछ स्थानों पर चीनी सेना पांच हजार सैनिकों के साथ अधिक तेजी से आगे बढ़ने से सफल रही। इस घटना से भारतीय सेना आश्चर्यचकित हो गई।

      भारत ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के पास नियमित डिवीजन से अतिरिक्त सैनिकों को वहां भेजा है और उन्हें ऊंचाई वाले स्‍थलों पर युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया गया है। सेना की सामान्य तैनाती, जो क्षेत्र में कोरोना महामारी से कुछ हद तक प्रभावित थी, अब लद्दाख में भी होने लगी है, जहां बड़ी संख्या में सैनिकों को विमान और सड़क मार्ग से भेजा गया है। सूत्रों ने कहा कि भारत की सीमाओं की रक्षा के संबंध में कोई समझौता नहीं किया जाएगा, जबकि भारत शांति में विश्वास करता है, यह अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए दृढ़ और संकल्‍पबद्ध है। यह भारत और चीन के बीच चार या इससे अधिक बार समझौतों की भावना से परिलक्षित हुआ है, जिसमें ऐतिहासिक रूप से सीमा प्रबंधन के लिए तंत्र (मैकेनिज्‍म) का गठन किया है। तंत्र अभी भी कायम है और द्विपक्षीय स्तर पर काम कर रहा हैं। उनमें से दो वर्ष 1993 और 1996 के हैं। इसके अलावा 2005 में आत्मविश्वास निर्माण के उपाय (कॉन्फिडेंस बिल्डिंग मेजर) और 2013 में एक सीमा समझौता शामिल है।

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