हरियाणा

दो बहुओं के बाद अब बेटी ने हरियाणा रोडवेज बस में संभाला परिचालक का पदभार

सिरसा। भीड़ के चलते हरियाणा रोडवेज की जिन बसों में टिकट काटते हुए पुरूष परिचालकों के पसीने छूट जाते हैं उस काम को करने के लिए प्रदेश की बेटियां एक के बाद एक करके आगे आ रही हैं। रोडवेज बसों की हड़ताल के चलते हरियाणा में पहली बार महिला परिचालक बनी निर्मला के बाद प्रदेश में बदलाव की बयार शुरु हो गई है। शनिवार को उनके परिचालक बनने के बाद रेवाड़ी में शर्मिला ने परिचालक का पदभार संभाला था तो वहीं अब सिरसा में एक अन्‍य युवती शैफाली ने परिचालक के पद पर ड्यूटी ज्‍वाइन की है। पहली और दूसरी महिला परिचालक शा‍दीशुदा हैं और घर संभालती थी तो वहीं तीसरी परिचालक बनी बेटी शैफाली अविवाहित हैं और दूरवर्ती शिक्षा से कोर्स कर अभी पढ़ रही हैं। शैफाली ने कहा कि टिकट काटने का अनुभव नहीं है परंतु बसों में कई बार यात्रा की है और आत्मविश्वास है, जल्द ही अपने कार्य को निपुणता से करूंगी। शाम को ड्यूटी से वापस लौटने पर परिवार के सदस्यों ने उसका मिठाइयां खिलाकर मुंह मीठा करवाया और मोहल्लावासी भी बधाई देने पहुंचे। गौरतलब है कि हरियाणा में बीते 14 दिनों से चली आ रही रोडवेज की हड़ताल के चलते हरियाणा सरकार आउट सोर्सिंग पॉलिसी के तहत परिचालकों को भर्ती कर रही है।

आइएएस बनना चाहती हैं शैफाली, आत्‍मनिर्भर बनने के लिए की जॉब  शैफाली मांडा सेक्टर 20 की रहने वाली है। पिता पवन मांडा उपायुक्त कार्यालय में है तथा मां निर्मल मांडा शिक्षा विभाग में कार्यरत है। छोटा भाई शुभम बीएससी एग्रीकल्चर कर रहा है। शैफाली भी स्नातक करने के बाद अब लोक प्रशासन में दूरवर्ती शिक्षा से एमए कर रही हैं। इसके साथ ही उसने जेबीटी, आइटीआइ से इंग्लिश स्टेनो का कोर्स भी किया है। शैफाली का कहना है कि वह आइएएस बनना चाहती है। नौकरी करके आत्मनिर्भर बनूंगी और अपनी पढ़ाई को भी आगे जारी रख सकूंगी।

2015 में किया था कोर्स, अब आया काम  पिता पवन मांडा ने बताया कि 2015 में फर्स्‍ट एड का कोर्स करवाया था। बेटी को नौकरी ज्वाइन होने पर अच्छा लग रहा है। शैफाली अभी भी पढ़ाई कर रही है और उसका लक्ष्य सरकारी सेवाओं में उपर तक जाने का है। मां निर्मल मांडा कहना है कि बेटी को सफल होते देख उत्साहित हूं। सोचा नहीं था कंडक्टर लगेगी, परंतु हम सब उसका पूरा साथ देंगे। भाई शुभम भी अपनी बड़ी बहन की सफलता से खुश हैं।

मिला पैतृक गांव का रूट  ड्यूटी से लौटी शैफाली ने बताया कि पहला दिन बहुत शानदार रहा। रविवार होने के कारण सवारियां कम थी लेकिन अच्छा लगा। सिरसा से कागदाना जाते समय 20 सवारियां थी और वापसी में भी लगभग इतनी सवारियां थी। शैफाली ने बताया कि उसका पैतृक गांव कागदाना है और उसे खुशी है कि विभाग ने उसे वहीं का रूट दिया है। जिंदगी में कुछ अलग करना चाहती थी, इसी लिए नौकरी ज्वाइन की है।

सिरसा की निर्मला और रेवाड़ी की शर्मिला की हो चुकी नियुक्‍ति इससे पहले शनिवार को सिरसा जिले की निर्मला ने रोडवेज बस में ड्यूटी ज्‍वाइन की थी, खारीसुरेरा निवासी निर्मला हरियाणा की पहली महिला परिचालक बनी। सिरसा से ऐलनाबाद के बीच रूट पर चल रही बस में थैला लेकर निर्मला पहुंची तो हैरान हो दूसरी बस से भी कई सवारियां उसे देखने के लिए आईं। गांव में पति व पत्नी खेतीबाड़ी का कार्य करते हैं। वहीं निर्मला की तीन महीने की बेटी है जिसे निर्मला ने अपनी सास के भरोसे छोड़ा है। इसके अलावा रेवाड़ी में भी खलीलपुर गांव की रहने वाली दो बेटियों की मां 32 वर्षीय शर्मिला ने रोडवेज की बस में परिचालक की ड्यूटी ज्वाइन की। शर्मिला ने बताया कि नौकरी नहीं होने के चलते वह पिछले लंबे समय से परेशान चल रही थी।

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