Uttarakhand

डॉकऑनलाइन प्राथमिक स्वास्थ्यसेवा तंत्र में ई-पीएचसी सेवाओं को लागू करेगी

देहरादून। डॉकऑनलाइन एक प्रमुख ऑनलाइन हेल्थकेयर कंसल्टेशन प्लेटफॉर्म ने, आज उत्तर प्रदेश में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में ई-पीएचसी सेवाओं को क्रियान्वित करने के लिये एक ऑर्डर मिलने की घोषणा की है। पीपीपी प्रोजेक्ट के एक हिस्से के रूप में, डॉकऑनलाइन द्वारा इन स्थानों के नागरिकों को सम्पूर्ण हेल्थकेयर सॉल्युशन्स उपलब्ध कराने के लिये यूपी के प्रमुख जिलों में कुछ ई-पीएचसी या डिजिटल डिस्पेंसरीज का संचालन किया जायेगा। यहां पर आने वाले लोगों को बिना किसी खर्च के इन सेवाओं का लाभ मिलेगा। डॉकऑनलाइन द्वारा इन सेंटर्स की स्थापना की जायेगी एवं 3 साल की अवधि तक इसे प्रबंधित किया जायेगा।
डिजिटल डिस्पेंसरी ऑनलाइन परामर्श लेने में सक्षम बनायेगी, इसके द्वारा बुनियादी जांच एवं डायग्नॉस्टिक टेस्ट्स किये जायेंगे और साथ ही मरीजों को बताई गई दवायें भी वितरित की जा सकती है। डिजिटल डिस्पेंसरीज का संचालन हर दिन कम से कम 8 घंटे और प्रत्येक सप्ताह 6 कामकाजी दिनों में किया जायेगा। इन क्षेत्रों में हेल्थकेयर डिलीवरी में विभिन्न चुनौतियों से बाधा आती है, जिनमें अत्यधिक अभाव या अनुपस्थिति के कारण डॉक्टरों की अनुपब्लधता, दवाओं की चोरी, बुनियादी लैब सुविधाओं की कमी, तात्कालिक मामलों का उपचार करने के लिये अयोग्य नर्सें व अन्य शामिल हैं। मार्कस मोडिंग, सीईओ, डॉकऑनलाइन ने कहा, ’’हम तेजी से यह देख रहे हैं कि टेक्नोलॉजी भारत में किफायतीपन, सुलभता, जागरूकता और क्वालिटी से संबंधित हेल्थकेयर चुनौतियों का समाधान करने में एक प्रमुख भूमिका निभायेगी। तकनीक आधारित डिलीवरी से हमें देश में हमारी उपस्थिति का विस्तार करने में मदद मिल रही है और वह भी बेहद आसानी से। हम दूर दराज के क्षेत्रों में भी समग्र हेल्थकेयर जरूरतों को पूरा करने के लिये डिजिटल डिस्पेंसरीज जैसे खोजपरक समाधान उपलब्ध करा रहे हैं। हमारा विजन भारत में सभी लोगों के लिये एक स्वस्थ्य जीवन का निर्माण करना है और हम इन रचनात्मक हेल्थकेयर सॉल्युशन्स को आकार देने के लिये नवीनतम टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना जारी रखेंगे।’’
विभिन्न रिपोर्ट्स के अनुसार, हालांकि कुछ शहरी क्षेत्रों में डॉक्टरों की उपलब्धता एवं पहुंच बेहतर हो रही है, लेकिन उत्तर प्रदेश में यह अंतर यानी 19972 मरीजों पर सिर्फ एक डॉक्टर) काफी बड़ा है और देश के अधिकांश हिस्सों में यह एक चिंताजनक विषय है। तकनीकी क्रांति के पास वर्ष 2020 तक चार लाख से अधिक डॉक्टरों की नियुक्ति में मांग आपूर्ति अंतर को पूरा करने का एक बड़ा अवसर है, जिसके पूरा होने की संभावना कम है।

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