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चलन से गुम हो गया है अठन्नी का सिक्का और खुद-ब-खुद बढ़ गईं कीमतें

रायपुर। राजधानी समेत प्रदेश के सभी जिलों में गुपचुप तरीके से अठन्नी के सिक्के पर लेन- देन बंद कर दिया गया है। न तो दुकानदार किसी से अठन्नी लेते हैं और न ही आम जनता अठन्नी के सिक्के को स्वीकार कर रही है। आरबीआई के रिकॉर्ड में यह सिक्का चलन में है। छत्तीसगढ़ के आखिरी बड़े शहर राजनांदगांव तक पचास पैसे का सिक्का नहीं चलेगा, मगर इससे आगे महाराष्ट्र पहुंचते ही नागपुर में चलने लगता है। दुकानदारों के इस खेल को आरबीआई बंद नहीं करा सका है। बल्कि कई बैंकों ने भी खामोशी से इस सिक्के को अपनी शाखा में बंद कर दिया है।

अठन्नी का चलन बंद बाजार में चलन न होने तथा उपभोक्ताओं द्वारा भी ट्रांजेक्शन न किए जाने के कारण बैंकों ने भी ये सिक्के मंगाने बंद कर दिए हैं। हालांकि एक, दो, पांच और दस रुपये के सिक्के बैंकों में हमेशा आते रहते हैं। अठन्नी का चलन बंद होने से कंपनियों को भी गुपचुप रूप से कीमत में बढ़ोतरी का मौका मिल गया है। एफएमसीजी व ऑटोमोबाइल कंपनियां इन दिनों अपने उत्पादों में राउंड फिगर में ही कीमत तय करती हैं, ताकि बाजार में किसी भी प्रकार से विवाद की स्थिति पैदा न हो। कंपनियों को अठन्नी के बहाने उत्पादों के नाम राउंड फिगर में कर कीमत बढ़ाने का मौका भी मिल गया है। सेंट्रल बैंक के चीफ मैनेजर ओपी देवांगन ने बताया कि इन दिनों बाजार में कम होते चलन को देखते हुए बैंकों ने भी अठन्नी मंगाना कम कर दिया है। उन्होंने कहा कि हालांकि ऑफिशियल रूप से अठन्नाी भारतीय मुद्रा है और इस पर किसी तरह की रोक नहीं है। कोई भी उपभोक्ता आकर बैंकों में अठन्नाी जमा करवा सकता है या बाजार में इसका लेन-देन कर सकता है। इसी प्रकार इलाहाबाद बाद बैंक के एक अधिकारी ने बताया कि करेंसी चेस्ट में भी इन दिनों अठन्नाी आनी बंद हो गई है। सारे काम राउंड फिगर में ही किए जा रहे हैं।

ऑटोमोबाइल कंपनियों ने भी किया अठन्नी को बाहर  पहले हमेशा एफएमसीजी उत्पादों में साबुन, तेल, बिस्किट, नमक आदि की कीमतों में रुपये के साथ अठन्नी का भी जिक्र रहता ही था, लेकिन अब ये कंपनियां भी बाजार में अठन्नी के बंद होते चलन को देखते हुए कीमत से अठन्नी गायब कर चुकी हैं। उदाहरण के लिए मान लीजिए साबुन, तेल, नमक की कीमत 51 रुपये 50 पैसे है तो अब उसकी कीमत पूर तरह से 52 रुपये हो गई है या 51 रुपये ही है। इसी प्रकार ऑटोमोबाइल कंपनियां भी गाड़ियों की कीमतों में अठन्नी का चलन हटा दिया है।

इनमें है अठन्नी का असर… अठन्नी का असर उन सभी कारोबार पर है, जिन पर जीएसटी वसूला जाता है। विशेषकर गाड़ी सर्विसिंग से लेकर कुछ खरीदारी करने जाते हैं तो जीएसटी के प्रभाव से अनाज व किराना तथा एफएमसीजी की खरीदारी में अठन्नी का हिसाब आता ही है। ऐसे अवसरों पर कारोबारियों का कहना है कि उपभोक्ताओं को दिए जाने वाले बिल में जीएसटी के कारण पच्चीस पैसे से लेकर नब्बे पैसे तक का अतिरिक्त लेन-देन दिखता ही है। चलन न होने के कारण यह बिल भी राउंड फिगर में लिया जाता है।

पेट्रोल-डीजल की कीमत में है अठन्नी का रौब  अठन्नी का रौब इन दिनों पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बना हुआ है। बताया जा रहा है कि इस अठन्नी और दस-बीस पैसे के चक्कर में ही उपभोक्ताओं को नुकसान तथा कंपनियों को फायदा हो रहा है। पेट्रोल-डीजल की कीमतों में चाहे बढ़ोतरी हो या कीमतें घटे दोनों ही स्थितियों में अठन्नी और दस-बीस पैसे का रौब रहता है। इसका खामियाजा उपभोक्ताओं को ही भुगतना पड़ता है।

अब बीस या पचास पैसे का रोल नहीं  छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष जितेंद्र बरलोटा का कहना है कि एफएमसीजी उत्पादों की कीमत भी अब राउंड फिगर में तय होने लगी है। पचास पैसे या दस-बीस पैसे का कोई रोल नहीं रहता। राजधानी हीरोमोटो के संचालक सुनील धु्प्पड़ का कहना है कि दोपहिया और चारपहिया के दाम भी अब बिल्कुल राउंड फिगर में रहते हैं। इसके कारण कोई परेशानी नहीं होती। वैसे तो सभी जगह अठन्नी का चलन लगभग बंद ही हो गया है लेकिन यदि यहां उत्तर प्रदेश व उत्तराखण्ड की बात करें तो यहां भी अब लेन देन राउण्ड फिगर में ही किया जाने लगा है और अठन्नी कानूनी रूप से मान्य होने के बावजूद भी चलन से बाहर है।

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