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कार्ति चिदंबरम के स्वामित्व वाली एक मुखौटा कंपनी ने पी. चिदंबरम के यात्रा और अन्य बिलों का किया था भुगतान

नई दिल्ली । कार्ति चिदंबरम के स्वामित्व वाली एक मुखौटा कंपनी ने पी. चिदंबरम के यात्रा और अन्य बिलों का भुगतान किया था। यह जानकारी चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) भाष्कर रमन ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को दी थी।

सीए ने स्‍वीकार की थी खर्च की बात  जांच से जुड़े एक ईडी अधिकारी ने बताया कि रमन ने यह तथ्य पिछले साल पूछताछ के दौरान उजागर किया था। दरअसल, आयकर विभाग ने चेन्नई में कार्ति की कंपनी चेस ग्लोबल एडवाइजरी सर्विसेज के आधिकारिक परिसरों पर छापेमारी की थी और उसमें कई दस्तावेज और हार्ड डिस्क जब्त की थीं। इन्हीं से यात्रा बिलों और अन्य खर्चो का विवरण मिला था। जब ये दस्तावेज और हार्ड डिस्क रमन के सामने रखी गए तो उसने पी. चिदंबरम के लिए खर्च की बात स्वीकार कर ली।

पी चिदंबरम ने इसे बेबुनियाद बताया   रमन को सीबीआइ ने पिछले साल गिरफ्तार किया था और वह फिलहाल जमानत पर है। सूत्रों के मुताबिक, जब पूर्व वित्त मंत्री से मुखौटा कंपनी द्वारा यात्रा बिलों और अन्य खर्चो के भुगतान के बाबत पूछा गया था तो उन्होंने इसे बेबुनियाद करार दिया था। मालूम हो कि पी. चिदंबरम को बुधवार को करीब 27 तक चले ड्रामे के बाद आइएनएक्स मीडिया मामले में सीबीआइ ने गिरफ्तार कर लिया था। वह फिलहाल सीबीआइ की रिमांड पर हैं।

बार काउंसिल ने चिदंबरम और उनकी पत्नी को जारी किया नोटिस  बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने पी. चिदंबरम और उनकी अधिवक्ता पत्नी नलिनी चिदंबरम को नोटिस जारी कर 28 सितंबर को काउंसिल की चार सदस्यीय समिति के समक्ष पेश होने के लिए कहा है। उन्हें यह नोटिस जे. गोपीकृष्णन की शिकायत के आधार पर जारी किया गया है। इसमें उन्होंने चिदंबरम दंपती पर अपने वरिष्ठ अधिवक्ता पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था।  16 जनवरी, 2019 को सुप्रीम कोर्ट में भेजी शिकायत में गोपीकृष्णन ने कहा था कि चिदंबरम के खिलाफ सीबीआइ, आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय भ्रष्टाचार और आपराधिक मामलों की जांच कर रहे हैं और उनके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया था। लेकिन 11 जनवरी, 2019 को अपनी अग्रिम जमानत याचिका पर ट्रायल सुनवाई के दौरान वह वरिष्ठ अधिवक्ता की पोशाक में आए थे। एक ऐसे वरिष्ठ अधिवक्ता के लिए यह अनैतिक था जिनके खुद के मामले की अदालत में सुनवाई चल रही हो। 31 मई, 2019 को सुप्रीम कोर्ट के डिप्टी रजिस्ट्रार ने यह शिकायत बार काउंसिल ऑफ इंडिया को उचित कार्रवाई के लिए अग्रसारित कर दी थी।

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