Uttarakhand

मैक्स हास्पिटल, देहरादून के पल्मोनोलाजी विशेषज्ञों ने कैंसर से होने वाली मौतों के बारे में जागरूकता फैलाने और लोगों को जानकारी प्रदान की

देहरादून।  मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हास्पिटल, देहरादून के पल्मोनोलाजी विशेषज्ञों ने आज कैंसर से होने वाली मौतों के सबसे आम कारण फेफड़े के कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाने और लोगों को जानकारी प्रदान की। मैक्स हास्पिटल देहरादून में एसोसिएट डायरेक्टर और पल्मोनोलाजी के विभागाध्यक्ष डा. पुनीत त्यागी ने लोगो से बात करते हुए कहा, ’मैक्स हास्पिटल में, हमने उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों जैसे ऋषिकेश, हरिद्वार, रुड़की, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, और पोंटा साहिब और उत्तराखंड के निकटवर्ती राज्यों से कैंसर के मामले देखे हैं। हम कैंसर का जल्द पता लगाने के महत्व के बारे में लोगों को जानकारी प्रदान कर इस क्षेत्र में कैंसर की समस्या का समाधान करना चाहते हैं। हमारा उद्देश्य लोगों को कैंसर की जांच और इलाज की सुविधा प्रदान कर इस समस्या का समाधान करना और अस्पताल आने वाले हर मरीज को तत्काल, प्रभावी उपचार सुनिश्चित करना है। पिछले आठ वर्षों में हमने जिन रोगियों का इलाज किया है, उनके आधार पर, हमने पाया कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में फेफड़े के कैंसर आम हैं। हालांकि महिलाओं में धूम्रपान के बढ़ते चलन के कारण अब फेफड़े के कैंसर से प्रभावित महिलाओं की संख्या भी बढ़ने लगी है। अपने संबोधन में वरिष्ठ कंसल्टेंट डा. वैभव चाचरा ने कहा, ’हमने हाल ही में एंडोब्रोंकियल अल्ट्रासाउंड ईबीयुएस गाइडेड ट्रांसब्रोंकियल नीडल एस्पिरेशन टीबीएनए की मदद से एक 75 वर्षीय पुरुष में फेफड़े के कैंसर का निदान किया।“
      रोगी को सिर्फ सूखी खांसी थी जो ठीक नहीं हो रही थी। हालांकि वह धूम्रपान नहीं करता था और शुरू में निगलने में कठिनाई होने के कारण वह अन्य विशेषज्ञों से इलाज करा रहा था। इन सब कारणों से उनके कैंसर के इलाज में देरी हो गई, हालांकि उनमें खांसी के साथ इस रोग के लक्षण मौजूद थे जो वह लगातार अनदेखा करते रहे। लेकिन उन्होंने कभी भी किसी पल्मोनोलाजिस्ट को नहीं दिखाया और वे कैंसर के गंभीर चरण में प्रवेश कर गये। यदि उनका पहले ही ईबीयुएस कराया गया होता तो कैंसर के इलाज में देरी नहीं होती। ईबीयुएस द्वारा हम बीमारी का पहले चरण में भी पता लगा सकते हैं। साथ ही, इससे बहुत अधिक संवेदनशीलता और विशिष्टता दर के साथ अन्य बीमारियों से अंतर करने में भी मदद मिलती है।
      यह तकनीक देश के बहुत कम शहरों में उपलब्ध है और मैक्स देहरादून ने 2018 से ही इस तकनीक को शुरू कर दिया था और यह इस तकनीक को शुरू करने वाला राज्य में पहला अस्पताल है। ईबीयुएस से न केवल बीमारी के निदान में मदद मिलती है, बल्कि इससे बीमारी के चरण का पता लगाने और आगे के उपचार में भी सहायता मिलती है।
      इसके अलावा, इस अवसर पर उपस्थित मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हास्पिटल देहरादून के यूनिट हेड डा. संदीप सिंह तंवर ने कहा, “मैक्स अस्पताल, देहरादून इस महामारी के दौरान सभी आपात स्थितियों और नैदानिक मामलों के इलाज के लिए हमेशा आगे रहा है। हमारी टीमें यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं कि कोविड के प्रकोप के कारण गैर-कोविड उपचार में बाधा न आए। हम सभी से सुरक्षित रहने और आवश्यक सावधानी बरतने और निवारक उपाय अपनाने और खुद को स्वस्थ रखने के लिए स्क्रीनिंग कराने और जांच करवाने की अपील करते हैं।

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