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भर्ती परीक्षाएं पारदर्शी, कांग्रेस के मिथ्या आरोपों मे दम नहींः विरेंद्र बिष्ट

देहरादून। भाजपा ने लोक सेवा आयोग द्वारा कराई गयी कनिष्ठ सहायक भर्ती परीक्षा को लेकर लगाए गए आरोपों को झूठ का पुलिंदा बताते हुए कहा कि उसे अब राजनीति के लिए स्वस्थ परंपरा और तथ्यों के बजाय दुष्प्रचार का सहारा लेना पड़ रहा है। पार्टी के प्प्रदेश प्रवक्ता विरेंद्र सिंह बिष्ट ने कांग्रेस के प्रदेश भर में दिये जा रहे अनर्गल बयानों को झूठ परोसो की संज्ञा देते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस को हर बेहतर पहल से परहेज है। कांग्रेस अब पारदर्शी परीक्षा और नकल कानून के बाद बौखला गयी है। प्रतियोगी परीक्षाओं के मुद्दे पर राजनीति और सवाल खड़ा करना उसके लिए अस्तित्व बचाये रखने की लडाई जैसा है।
बिष्ट ने कहा कि लोक सेवा आयोग ने भी परीक्षा को लेकर तस्वीर साफ कर दी है। उन्होंने कहा कि प्रश्न पत्र के सेट में प्रश्नो का क्रमांक भिन्न भिन्न न होकर एक समान था। प्रश्नो का क्रमांक भी एक समान होने से परीक्षा की सुचिता पर किसी तरह का असर नही पड़ा। जब प्रश्न पत्र की सीरीज और प्रश्न के क्रमांक मे कोई अंतर नही है तो साफ है कि कांग्रेस इस मुद्दे को सियासी तूल देकर दुष्प्रचार के जरिये जीवित रखना चाहती है। वहीं युवाओं के मनोबल को तोड़ना भी उसके एजेंडे मे है। पारदर्शी परीक्षा संपन्न कर आयोग ने बेहतर कार्य किया है, जबकि कांग्रेस नकल विहीन परीक्षा हजम नही कर पा रही है।
उन्होंने कहा कि कई वर्षों से कांग्रेस नकलयुक्त परीक्षा और बैक डोर भर्ती के जरिये युवाओं के हक पर डाका डाल रही थी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बिना काल खंड देखकर नैतिक साहस दिखाते हुए न केवल पूर्व मे हुई भर्तियों की जाँच कर नकल माफियाओं को सलाखों के पीछे भेजा, बल्कि कठोर नकल विरोधी कानून बनाकर नकल माफिया की रीढ़ तोड़ दी। अपने किये पर पछतावा करने के वजाय कांग्रेस अपने पुराने कारनामे भूल गयी और अब उपदेश दे रही है जिसे जनता पहले ही नकार चुकी है। कांग्रेस को एक सत्याग्रह राजस्थान जैसे प्रदेश के लिए भी करना चाहिए, जिससे हाईकमान की नजर उस पर पड़े और नकल मे संलिप्त वहाँ की सरकार पर अंकुश लग सकें। बिष्ट ने कहा कि प्रदेश मे कानून व्यवस्था बेहतर है और जीरो टॉलरेंस की नीति अमल मे है। सरकार पूर्व की भाँति अपराधियों को सरंक्षण नही देती, बल्कि उन पर कड़ी कार्यवाही करती है। कांग्रेस को अपने अतीत का अवलोकन करने की जरूरत है।

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