NationalUttarakhandजन संवाद

बी पी एल परिवारों का हो पुनः सर्वे

देश मे सरकारी मदद लेने की होड़ लगी हुई है। हर कोई येन परकेरण सरकार से मुफ्त में कुछ न कुछ पा लेना चाहता है। राजनेताओं ने भी इस तथ्य को भलीभांति समझ लिया कि जनता को जो मुफ्त सुविधाएं देगा जनता उसी का समर्थन करेगी। इसलिये नेताओ ने भी सत्ता हथियाने का यही मार्ग अपनाना शुरू कर दिया है। मैं यह समझने में असमर्थ हुँ कि क्या जनता नही जानती कि सरकार के पास जो धन होता है वो जनता से ही विभिन्न टैक्स के रूप में एकत्र किया जाता है। सरकार एक हाथ से खर्च करती है और दूसरे हाथ से टैक्स की वसूली कर खर्च की भरपाई करती है। कुल मिलाकर स्थिति यह है कि एक वर्ग भुगतान करता है तो दूसरा वर्ग उसका उपभोग कर रहा है।
     मान लीजिए सरकार गरीबो की मदद कर रही है। देखना यह होगा कि क्या वाकई में गरीबो की मदद हो रही है? आखिर वो गरीब लोग कौन है। मैंने देखा है जिनको फ्री राशन, नकद सब्सिडी और गरीब के नाम पर सब्सिडी मिल रही है वो मोटर साईकल पर बैठ कर मजदूरी करने जाते है। हाथ मे बीस पच्चीस हजार का मोबाइल फ़ोन होता है और प्रतिदिन 500 रुपये से लेकर 1500 तक की मजदूरी प्राप्त करते हैं।घर के सभी बडे सदस्यो का यहीं रोजनामचा है। अधिकतर शाम को शराब का सेवन करते है। क्या यही गरीबी है? लगता है योजनाओं में कही झोल है। जिस प्रकार मदरसों से रातोरात बच्चों की संख्या घट गई थी उसी प्रकार यदि पुनः सर्वे कराया जाए तो तथा कथित गरीबो की संख्या अप्रत्याशित रूप से घट सकती है। मेरा अभिप्राय गरीबो की मदद की आलोचना करना नही लेकिन सही व्यक्ति की मदद होना बहुत आवश्यक है। जनता जो टैक्स का पैसा देती है जिससे विकास कार्य होने चाहिये उस पैसे का लाभ उचित लाभार्थी और आम जनता को होना चाहिए। जनता के पैसे का मुफ्त बंदरबांट अब बंद होनी चाहिये। सरकार को लगातार बी पी एल सूचियों का सत्यापन कराना चाहिये। जिससे विकास कार्यो के धन का दुरुपयोग बंद हो सके।
      राजनीतिग्यो को भी चाहिए कि वोट की खातिर मुफ्त योजनाओं का धंदा बंद करें और जनता को समझ लेना चाहिए कि सरकार के पास मुफ्त में देने के लिये आप ही का दिया धन है जिसे घूमकर आप ही को भरपाई करनी पड़ती है अतः मुफ्त की योजनाओ के झांसे में न आये।यह आप ही की जेब पर खुली लूट है। पैसा आपका और लुटाए कोई और यह जनता को गंवार नही हो सकता।
लेखकः-एल0एम0 शर्मा

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