Uttarakhand

पूरी दुनिया के निराश लोगों को हिमालय ने नई ऊर्जा दी हैः-निशंक

देहरादून। मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने शनिवार को दून विवि में आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी के उद्घाटन के मौके पर कहा कि देशभर में करीब एक हजार विश्वविद्यालयों में चल रहे शोध कार्यों की जब समीक्षा की गई तो पाया गया कि 80 फीसद शोध कार्य जन उपयोगी नहीं हैं। ऐसे शोध कार्यों का क्या औचित्य है, जो मानव उत्थान और आर्थिक विकास में सहायक न हों। इससे केवल समय, जनशक्ति व धन की बर्बादी होती है। अनुसंधान ऐसा हो जो आर्थिकी को मजबूती दे। साथ ही बहुआयामी व जनोपयोगी हो।  उत्तराखंड राज्य में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता उन्नयन व नवाचार विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए निशंक ने कहा कि पूरी दुनिया के निराश लोगों को हिमालय ने नई ऊर्जा दी है। उत्तराखंड सृजन की धरती है। नवाचार और अनुसंधान के साथ उच्च शिक्षा को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। उत्तराखंड की धरती पर वेद, पुराण, उपनिषदों व आयुर्वेद का जन्म हुआ है। निशंक ने कहा कि हिन्दुस्तान विश्वगुरु रहा है। हमारी सोच में स्थायित्व होना चाहिए। कोई भी कार्य इच्छाशक्ति के साथ क्रियान्वयन होना चाहिए। अपने विचार सिर्फ कागजों तक सीमित न रखें, उन्हें जमीन पर उतारने के साथ तब तक गतिशील रखें, जब तक परिणाम न दिखाई दे। हिमालय पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है। हिमालय ज्ञान, विज्ञान, पर्यावरण और अनुसंधान का केंद्र रहा है। उत्तराखंड श्एजुकेशन हबश् है। कहा कि उत्तराखंड संजीवनी बूटियों का भंडार है। आयुर्वेद शाश्वत चिकित्सा है, यह वैकल्पिक चिकित्सा नहीं है। कहा कि जैव विविधता हमारी बहुत बड़ी संपदा है। हिमालय एशिया का वाटर हब है। उत्तराखंड राज्य में सर्वाधिक 12500 वन पंचायतें हैं। वन, जन, जल का समन्वय, अनुसंधान व शोध पूरी दुनिया के लिए मिसाल बनेगा। कार्यक्रम का संचालन दून विवि के प्रो. एचसी पुरोहित ने किया। इस मौके पर बतौर विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत, दून विवि के कुलपति डॉ.चंद्रशेखर नौटियाल, प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा आनंद वर्द्धन, अपर सचिव डॉ. अहमद इकबाल, उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. एससी पंत आदि मौजूद रहे। डॉ. निशंक ने कहा कि वर्ष 1986 में कोठारी आयोग ने नई शिक्षा नीति तैयार की थी, उसके बाद 33 साल बाद अब नई शिक्षा नीति तैयार है। नई शिक्षा नीति नए भारत के निर्माण की ओर बढ़ाएगी। सबल, स्वस्थ, स्वच्छ, सशक्त, श्रेष्ठ, समर्थ भारत की आधारशिला है।  उच्च शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि अच्छे व गुणवत्ता युक्त शिक्षण संस्थान उत्तराखंड से पलायन को रोकने में सहायक होंगे। शिक्षण संस्थानों के परिसरों को श्ग्रीन कैंपस-क्लीन कैंपसश् के तहत समृद्ध किया जायेगा और गुणवत्ता के दृष्टिगत शिक्षकों व विद्यार्थियों के लिए समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। प्राध्यापकों की कमी श्गेस्ट फैकल्टीश् के माध्यम से दूर की गई है। 25 प्रतिशत प्राचार्य सीधी भर्ती से नियुक्त किए जाने हैं। अच्छे कार्य करने वाले असिस्टेंट प्रोफेसर्स को श्भक्त दर्शनश् पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है। इस मौके पर उच्च शिक्षा के श्लोगोश् का लोकार्पण भी किया गया।
       संगोष्ठी के दौरान मुख्य अतिथि डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने श्रीदेव सुमन विवि के कुलपति डॉ.यूएस रावत द्वारा लिखी पुस्तक हिमालय इकोलोजी, रिसोर्सेज, डेवलेपमेंट एंड कॅान्फ्लिक्ट का विमोचन किया। निशंक ने श्री रावत की पुस्तक को जनउपयोगी और हिमालय पर शोध कर रहे शोधार्थियों के लिए सहायक बताया। श्री रावत की पुस्तक का संपादन दून विवि के प्रोफेसर डॉ. हर्ष डोभाल व प्रो. एचसी पुरोहित ने किया। डॉ. निशंक ने उत्तराखंड में उच्च शिक्षा की विकास यात्रा पुस्तक का भी विमोचन किया गया।

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