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एक ऐसी जगह जहां बालू में माचिस की जलती तीली फेंकने पर उठती हैं आग की लपटें

आसनसोल। आसनसोल के बर्नपुर इलाके में धेनुआ गांव के समीप कल-कल बहती दामोदर नदी के तट पर आग की लपटें निकलती हैं। प्राकृतिक छटा से भरपूर इस इलाके में लोग पिकनिक के लिए आते हैं। सैलानी लजीज व्यंजनों का आनंद लेने के लिए कच्चा सामान और बर्तन तो लाते हैं पर, गैस सिलेंडर, कोयला या लकड़ी नहीं लाते। क्योंकि यहां प्रकृति ने आग की व्यवस्था कर दी है। उस पर भोजन पकता है। दरअसल, यहां भूगर्भ में मीथेन गैस का अपार भंडार है। यह गैस जमीन में पड़ी दरारों से निकलती है। इसके सामने जलती तीली ले जाते ही वह जलने लगती है। खाना बनाने के बाद सैलानी आग पर पत्थर रखकर उसे बुझा देते हैं। फिर जिसे जरूरत पड़ती है वह माचिस जलाकर दोबारा फर्श से आग की लपटें निकालकर भोजन बना सकता है। आसनसोल ही नहीं पुरुलिया, बांकुड़ा, वीरभूम, खड़गपुर समेत पड़ोसी राज्य झारखंड से यहां लोग पिकनिक मनाने आते हैं। दामोदर नदी का विशाल पाट और सामने दूसरे तट पर पहाड़ियों की श्रृंखला पिकनिक का आनंद बढ़ाती है। दामोदर के तट पर बालू में माचिस की जलती तीली फेंककर आग की लपटें निकलने का करिश्मा देख क्या बच्चे क्या बड़े सभी पुलकित हो उठते हैं। फिर इस आग पर पके खाने का मजा ही और है। इस इलाके में सर्द मौसम में भी गैस भंडार के कारण नदी तट गर्म रहता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि सिर्फ यहीं नहीं शिल्पांचल में कई जगह आग की लपटें गैस के कारण निकलती हैं। यहां पिकनिक मनाने आए खड़गपुर के संजीव कुमार मैती व धनबाद के विकास केसरी ने बताया कि हमारा देश विविधताओं से भरा है। प्रकृति के इस तिलिस्म के बारे में सुना था। इसे देखकर तो हम आश्चर्यचकित हैं। यहां स्नान के बाद प्राकृतिक आग में पका भोजन खाया, मजा आ गया।

प्रलय ने दी यह नायाब सौगात  आसनसोल के बीसी कॉलेज के रसायन विज्ञान के प्रो. सुजीत बेरा बताते हैं कि यह कोई तिलिस्म नहीं है। आग की लपटें शिल्पांचल के भूगर्भ में मौजूद कोल बेड मीथेन गैस के कारण निकलती हैं। लाखों वर्ष पहले आई प्रलय से जमीन में पेड़, पौधे, जीव आदि दब गए थे। यही कोयला और कोल बेड मीथेन गैस में बदल गए। भूगर्भ में मौजूद यह गैस जमीन में पड़ी दरारों से बाहर निकलती है। यह अत्यधिक ज्वलनशील है। इसलिए आग के संपर्क में आते ही जलने लगती है। हालांकि यदि गैस का प्रेशर ज्यादा होगा तो यह खतरनाक हो सकता है।

कोल बेड मीथेन का हो रहा व्यवसायिक दोहन  आसनसोल- रानीगंज अंचल में कोल बेड मिथेन का व्यवसायिक दोहन शुरू हो गया है। ग्रेट ईस्टर्न एनर्जी कॉरपोरेशन लिमिटेड कंपनी यहां एक दशक से गैस का व्यवसायिक दोहन कर रही है। डेढ़ सौ से अधिक कुओं से इसका उत्पादन हो रहा है। कई उद्योग, बसें और ऑटो का परिचालन सीएनजी से ही होता है। कंपनी आने वाले वर्षों में उत्पादन को कई गुणा बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है। यहां डेढ़ सौ कुआं और खोदने की योजना है।

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