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यूपी की धाकड़ IAS अधिकारी बी चंद्रकला आखिरकार प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के लखनऊ स्थिति ऑफिस में पेश

नई दिल्ली। यूपी की धाकड़ IAS अधिकारी बी चंद्रकला आखिरकार बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के लखनऊ स्थिति ऑफिस में पेश हो गईं। इस दौरान उनसे ईडी अधिकारियों ने आठ घंटे की लंबी पूछताछ की। मालूम हो कि इससे पहले बी चंद्रकला ने ईडी के पहले नोटिस पर पेश होने से इंकार कर दिया था। उन्होंने पहली बार खुद पेश होने की जगह अपने वकील को संबंधित दस्तावेजों के साथ ईडी कार्यालय भेजा था। ऐसे में सवाल उठता है कि अब बी चंद्रकला को ईडी के सामने पेश होने की जरूरत क्यों पड़ी? इसकी कुछ खास वजहें हैं। इससे पूर्व ईडी ने बी चंद्रकला को नोटिस देकर 24 जनवरी को पूछताछ के लिए तलब किया था, लेकिन वह नहीं आई थीं। तब चंद्रकला के वकील ने ईडी के लखनऊ स्थित जोनल मुख्यालय पहुंचकर कुछ दस्तावेज सौंपे थे। इसके बाद ईडी ने फिर से उन्हें कार्यालय में पूछताछ के लिए उपस्थित होने का नोटिस दिया था। चंद्रकला कल सुबह 9:30 बजे अपने वकील सैय्यद अब्बास के साथ ईडी आफिस पहुंची, जहां से वह शाम करीब 5:50 बजे बाहर निकलीं।

चंद्रकला द्वारा भेजे गए दस्तावेजों से संतुष्ट नहीं ईडी  अखिलेश शासन में हमीरपुर समेत कई जिलों की डीएम रह चुकी वर्ष 2008 बैच की आईएएस अधिकारी बी चंद्रकला, बुधवार को ईडी के लखनऊ स्थित कार्यालय में सुबह ही पहुंच गई थीं। ईडी दफ्तर में उन्हें कांफ्रेंस हॉल में बैठाकर तकरीबन आठ घंटों तक लंबी पूछताछ की गई। दरअसल ईडी अधिकारी बी चंद्रकला के वकील द्वारा दिए गए दस्तावेजों और जवाब से संतुष्ट नहीं हैं। यही उनके ईडी कार्यालय पहुंचने की पहली वजह है।

पट्टों के आवंटन में किसका दबाव था  पूछताछ के दौरान ईडी अधिकारियों ने बी चंद्रकला से हमीरपुर की डीएम रहते हुए खनन के पट्टा आवंटन में की गई मनमानी को लेकर कई सवाल पूछे। अधिकारियों ने आवंटन की प्रक्रिया और चयन के नियमों के बारे में भी उनसे विस्तार से जानकारी ली। इसके बाद ये भी जानने का प्रयास किया कि जिन लोगों क पट्टा आवंटन किया गया था, वो नियम पर किस तरह से खरे उतरते हैं। दरअसल ईडी बी चंद्रकला से ऐसे कई सवाल या कहें राज उगलवाना चाहती थी, जिनका जवाब सरकारी दस्तावेजों में नहीं मिल सकता। जैसे ईडी ने उनसे ये भी जानने का प्रयास किया कि क्या इन पट्टों का आवंटन करने के लिए उन पर किसी तरह का राजनैतिक या वरिष्ठ अधिकारियों का दबाव था। बी चंद्रकला के ईडी कार्यालय पहुंचने की ये दूसरी और सबसे प्रमुख वजहों में से एक थी, जिसका जवाब केवल उनके पास ही है।

किसे-किसे पहुंचाया मिला अवैध खनन का लाभ  पूछताछ के दौरान ईडी ने बी चंद्रकला से ये भी जानने का प्रयास किया कि खनन के पट्टों के आवंटन से प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से कौन-कौन लाभांवित हुआ। हालांकि बी चंद्रकला खुद को ईमानदार बताते हुए पूरी आवंटन प्रक्रिया को नियमानुसार बताती रहीं। लिहाजा सीबीआई ने खनन से लाभांवित होने वालों के बारे में सीधे सवाल करने की जगह घुमा-फिरा कर पूछने का प्रयास किया। दरअसल ईडी इन जवाबों के जरिए खनन के खेल की सभी कड़ियां जोड़ने का प्रयास कर रही हैं, जो कोर्ट में आरोपों को साबित करने के लिए काफी महत्वपूर्ण होंगे। इसके अलावा ईडी खनन की काली कमाई से बनाई गई संपत्तियों को भी अटैच करेगी। ये तीसरी वजह है, जिसके लिए ईडी ने चंद्रकला को दूसरी बार निजी तौर पर पूछताछ के लिए बुलाया था।

दर्ज किए गए बयान  बहुचर्चित खनन घोटाले में आरोपित आइएएस अधिकारी बी.चंद्रकला से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) में कल आठ घंटों तक लंबी पूछताछ की गई। अफसरों ने चंद्रकला के डीएम हमीरपुर के पद पर तैनात रहते हुए जारी खनन के 36 पट्टों के बारे में सिलसिलेवार पूछा। बार-बार इस सवाल पर कि यह पट्टे उन्होंने किसके कहने पर दिये थे, चंद्रकला ने शासनादेशों का हवाला दिया। उन्होंने कुछ शासनादेश भी ईडी को सौंपे। साथ ही अपना 10 वर्ष का आइटीआर (इनकम टैक्स रिटर्न) तथा संपत्तियों का ब्योरा भी सौंपा। यह पहला मौका था जब खनन घोटाले के मामले में ईडी के अधिकारियों ने आइएएस अधिकारी बी.चंद्रकला से आमने-सामने पूछताछ की और उनके बयान दर्ज किये। बयान दर्ज कराने के लिए बी चंद्रकला का उपस्थित होना आवश्यक था और ये उनके ईडी कार्यालय पहुंचने की चौथी वजह है।

क्यों नहीं अपनाई गई ई टेंडर प्रक्रिया  हमीरपुर डीएम रहते आईएएस बी चंद्रकला ने खनन पट्टे जारी करने के लिए ई टेंडर प्रक्रिया क्यों नहीं अपनाई। सीबीआई का दावा है कि इस पूरी प्रक्रिया में 2012 के ई टेंडर नीति का उल्लंघन किया गया था। इस नीति को 29 जनवरी 2013 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी मंजूरी प्रदान कर दी थी। ईडी के इस सवाल के जवाब में बी चंद्रकला ने कहा कि उन्हें कोर्ट के आदेश की जानकारी नहीं थी। उन्हें ऐसा कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ था, जिसमें खनन पट्टों में ई टेंडर प्रक्रिया अपनाने को कहा गया हो। ईडी बी चंद्रकला से आमने-सामने पूछताछ कर ई टेंडर प्रक्रिया न अपनाने की वजह जानना चाहती थी, जो उनके ईडी कार्यालय पहुंचने की पांचवीं वजह थी।

एक दिन में 13 पट्टे जारी करने की क्या जरूरत थी  अवैध खनन मामले में ही सीबीआई को जांच के दौरान पता चला था कि अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री रहते हुए एक दिन में 13 पट्टे जारी किए थे। ये सभी पट्टे 13 फरवरी 2013 को जारी किए गए थे। उस वक्त खनन मंत्रालय अखिलेश यादव के पास ही था। अखिलेश यादव से पहले ये मंत्रालय गायत्री प्रजापति के पास था, जिन्हें भ्रष्टाचार के आरोपो में हटाना पड़ा था। हालांकि कुछ समय बाद ही अखिलेश यादव ने उन्हें दोबारा कैबिनेट में शामिल कर लिया था, लेकिन इस बार उन्हें खनन मंत्रालय नहीं दिया गया था। ईडी बी चंद्रकला से पूछताछ कर ये जानना चाहती थी कि आखिर एक ही दिन में खनन के 13 पट्टे जारी करने की क्या जरूरत थी। ये उनके ईडी कार्यालय पहुंचने की छठवीं वजह थी।

बिना लोन कैसे खरीदी संपत्तियां  ईडी ने बी चंद्रकला से उनकी संपत्तियों का भी ब्यौरा लिया। इस दौरान उनसे पूछा गया कि छापे से नौ दिन पहले उन्होंने तेलंगाना के मलकाजगिरी जिले के ईस्ट कल्याणपुरी में 22.50 लाख रुपये का आवासीय प्लॉट कैसे खरीदा था। इस प्लॉट की रजिस्ट्री 27 दिसंबर 2018 को ही हुई थी। खास बात ये है कि उन्होंने ये प्लॉट बिना किसी बैंक लोन के खरीदा था। ईडी इस बारे में भी बी चंद्रकला से आमने-सामने बात कर पूछताछ करना चाहती थी। ये उनके ईडी कार्यालय पहुंचने की सातवीं वजह थी।

गिरफ्तारी का डर  आईएएस अधिकारी बी चंद्रकला ईडी के पहले नोटिस पर हाजिर नहीं हुई थीं। उन्होंने खुद उपस्थित होने की जगह अपने वकील को कुछ दस्तावेजों के साथ भेज दिया था। इसका सीधा मतलब था कि वह जांच में सहयोग नहीं कर रही हैं। लिहाजा दूसरी बार नोटिस जारी करते हुए ईडी ने थोड़ा सख्त रुख अपना लिया। ऐसे में कहीं न कहीं बी चंद्रकला को ये भी डर था कि अगर वह ईडी के समक्ष हाजिर नहीं हुईं तो जांच में सहयोग न करने का आधार बनाकर उन्हें गिरफ्तार भी किया जा सकता है। ये उनके ईडी कार्यालय पहुंचने की आठवीं और सबसे महत्वपूर्ण वजह थी।

यह है मामला  हमीरपुर में हुए करोड़ों के खनन घोटाले में सीबीआइ ने दो जनवरी को एफआइआर दर्ज कर पांच जनवरी को आरोपितों के ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस कार्रवाई के बाद ईडी ने सीबीआइ की एफआइआर को आधार बनाकर तत्कालीन डीएम हमीरपुर बी. चंद्रकला व सपा एमएलसी रमेश मिश्र समेत 11 आरोपितों के खिलाफ मनी लॉड्रिंग का केस दर्ज किया था, जिसकी जांच की जा रही है।

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